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अनेकता में ऐक्य मंत्र को, जन-जन फिर अपनाता है।
धीरे-धीरे देश हमारा, आगे बढता जाता है।
इस धरती को स्वर्ग बनाया, ॠषियों ने देकर बलिदान
उन्हीं के वंशज आज चले फिर, करने को इसका निर्माण
कर्म पंथ पर आज सभी को, गीता ज्ञान बुलाता है॥1॥
जाति, प्रान्त और वर्ग भेद के, भ्रम को दूर भगाना है।
भूख, बीमारी और बेकारी, इनको आज मिटाना है।
एक देश का भाव जगा दें, सबकी भारत माता है॥2॥
हमें किसी से बैर नहीं है, हमें किसी से भीति नहीं।
सभी से मिलकर काम करेंगे, संगठना की रीति यही।
नील गगन पर भगवा ध्वज यह, लहर लहर लहराता है॥3॥
anekatA meM aikya maMtra ko, jana-jana Pira apanAtA hai|
dhIre-dhIre deSa hamArA, Age baDhatA jAtA hai|
isa dharatI ko svarga banAyA, RUShiyoM ne dekara balidAna||
unhIM ke vaMSaja Aja cale Pira, karane ko isakA nirmANa|
karma paMtha para Aja saBI ko, gItA gyAna bulAtA hai||
jAti, prAnta aura varga Beda ke, Brama ko dUra BagAnA hai|
BUKa, bImArI aura bekArI, inako Aja miTAnA hai|
eka deSa kA BAva jagA deM, sabakI BArata mAtA hai||
hameM kisI se baira nahIM hai, hameM kisI se BIti nahIM|
saBI se milakara kAma kareMge, saMgaThanA kI rIti yahI|
nIla gagana para BagavA dhvaja yaha, lahara lahara laharAtA hai||
I am not able to down load mp3 using my samsung galaxy s phone using android. Any tips?
Anonymous | Nov 7 2010 - 00:39
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