केसर क्यारयाँ काश्मीर री, ऊँचा डूंगर सोहणा,
कळ-कळ करती नदियाँ बहवे, फूल घना मनमोहना,
हरया–भरया मैंदानां है, भरी बखारयाँ धान री,
चांदी सी चमके धर, राजस्थान री..........
जद दुनियां मैं मिनख, जिनावर, दोंन्यां मैं नहीं भेद हो,
अठे ज्ञान री जोत जगे ही, घर-घर बंचरयो वेद हो,
जग शिक्षा लीनी भारत स्यूं, कळा, ज्ञान-विज्ञान री,
धर्म ध्वजा फहराई हिन्दुस्थान री ............
यूनानी भारत पर चढ़कर आया, मुह कि खाई ही,
डरती ज्याँ सूँ दुनियाँ वे, शक हूण पिछाण गवाँई ही,
दाळ नहीं गळ पाई रण मैं, अब भी पकिस्तान री,
दुनियाँ जाणे शक्ति, हिन्दुस्थान री......
आर्यसमाजी, बोद्ध, जैन, सिख, शिव-विष्णु पूजन हारा,
दीखन मैं न्यारा लागे पण, हिंदू मूल एक धारा,
कोई नहीं अछूत सबाँ मैं, मूरत है भगवान री,
सबरी माटी, ई भारत री खान री .....
सोने री चिड़िया रो भारत, माटी होग्यो फूट सूँ,
संघ शक्ति भारत माँ री, कर सके रुखाळी लूट सूँ,
शाखा लागे हरिजन, गिरिजन, पुरजन और किसान री,
घर-घर सूँ आवे हुँकार, जवान री ... हाँ हिन्दुस्तान री !!
देव गावता गीत, सुरग री मीत, भोम भगवान री !
जग सूं न्यारी धरती, हिन्दुस्तान री !! हाँ हिन्दुस्तान री !!
केसर क्यारयाँ काश्मीर री, ऊँचा डूंगर सोहणा,
कळ-कळ करती नदियाँ बहवे, फूल घना मनमोहना,
हरया–भरया मैंदानां है, भरी बखारयाँ धान री,
चांदी सी चमके धर, राजस्थान री..........
जद दुनियां मैं मिनख, जिनावर, दोंन्यां मैं नहीं भेद हो,
अठे ज्ञान री जोत जगे ही, घर-घर बंचरयो वेद हो,
जग शिक्षा लीनी भारत स्यूं, कळा, ज्ञान-विज्ञान री,
धर्म ध्वजा फहराई हिन्दुस्थान री ............
यूनानी भारत पर चढ़कर आया, मुह कि खाई ही,
डरती ज्याँ सूँ दुनियाँ वे, शक हूण पिछाण गवाँई ही,
दाळ नहीं गळ पाई रण मैं, अब भी पकिस्तान री,
दुनियाँ जाणे शक्ति, हिन्दुस्थान री......
आर्यसमाजी, बोद्ध, जैन, सिख, शिव-विष्णु पूजन हारा,
दीखन मैं न्यारा लागे पण, हिंदू मूल एक धारा,
कोई नहीं अछूत सबाँ मैं, मूरत है भगवान री,
सबरी माटी, ई भारत री खान री .....
सोने री चिड़िया रो भारत, माटी होग्यो फूट सूँ,
संघ शक्ति भारत माँ री, कर सके रुखाळी लूट सूँ,
शाखा लागे हरिजन, गिरिजन, पुरजन और किसान री,
घर-घर सूँ आवे हुँकार, जवान री ... हाँ हिन्दुस्तान री !!
जग सूं न्यारी धरती, हिन्दुस्तान री…
हाँ हिन्दुस्तान री !!
Rakesh Sharma | Feb 22 2010 - 11:57
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