ज्योतिर्मय कर दो
जग का व्यापक अन्धकार हर-
निज प्रकाश भर दो
ज्योतिर्मय कर दो
चाहे जितने शूल अड़े हों
चाहे जितने फूल पड़े हों
केवल इस पग को बढ़ने के-
हित निर्भय कर दो
ज्योतिर्मय कर दो
मोह नहीं है तारा गण से
या प्राणों के दीप सृजन से
केवल कृपा किरण से सूना-
अन्तराल भर दो
ज्योतिर्मय कर दो
लक्ष्य न नयनों से ओझल हो
एक तुम्हारा ही सम्बल हो
आलोकित कर मानस निज में
मुझको लय कर दो
ज्योतिर्मय कर दो
jyotirmaya kara do
jaga kā vyāpaka andhakāra hara-
nija prakāśa bhara do
jyotirmaya kara do
cāhe jitane śūla aṛe hoṁ
cāhe jitane phūla paṛe hoṁ
kevala isa paga ko baṛhane ke-
hita nirbhaya kara do
jyotirmaya kara do
moha nahīṁ hai tārā gaṇa se
yā prāṇoṁ ke dīpa sṛjana se
kevala kṛpā kiraṇa se sūnā-
antarāla bhara do
jyotirmaya kara do
lakṣya na nayanoṁ se ojhala ho
eka tumhārā hī sambala ho
ālokita kara mānasa nija meṁ
mujhako laya kara do
jyotirmaya kara do
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