कोटि शीर्ष जय कोटि नयन जय।
कोटि बाहु जय कोटि चरण जय॥
एक विराट पुरुष तुम भारत
प्रगटित कोटि-कोटि देहों मे।
जैसे एक गगन व्यापक है
जगती की अगणित देहों मे।
सत्य-सत्य आसेतु हिमाञ्चल
सीमा है भौगोलिक तेरी।
पर नरत्व से ईश्वरत्व तक
फैली तेरी परिधि घनेरी।
अवतारों की जन्म-स्थलि तू
धन्य महापुरूषो की जननी।
ग्राम-ग्राम है तीर्थ तुम्हारा
धूलि तुम्हारी पातक हरणी।
जय ब्रह्माण्ड कल्पतरु के हे
अमृत फल आनन्द सदन जय।
कोटि शीर्ष जय ॥१॥
जीवन मन्त्र तुम्हारा दर्शन ।
पावन वेद तुम्हारी वाणी।
चिन्तन मनन विचार शास्त्र है
गायन है गीता कल्याणी।
गंगा जल से सरल सौम्य तुम
उपनिषदों से गहन अतल हो।
तुम मुरली से ललित सुदर्शन
काल -चक्र से विकट प्रबल हो।
चूर -चूर हो जाये
तेरे वज्र- वक्ष से जो टकराये।
तू वह संगम है जो भेंटे
तेरी एक लहर हो जाये
कर्म -भूमि जय धर्म -भूमि जय
जयति पुरातन नित नूतन जय।
कोटि शीर्ष् जय ॥२॥
koṭi śīrṣa jaya koṭi nayana jaya |
koṭi bāhu jaya koṭi caraṇa jaya ||
eka virāṭa puruṣa tuma bhārata
pragaṭita koṭi-koṭi dehoṁ me |
jaise eka gagana vyāpaka hai
jagatī kī agaṇita dehoṁ me |
satya-satya āsetu himāñcala
sīmā hai bhaugolika terī|
para naratva se īśvaratva taka
phailī terī paridhi ghanerī|
avatāroṁ kī janma-sthali tū
dhanya mahāpurūṣo kī jananī |
grāma-grāma hai tīrtha tumhārā
dhūli tumhārī pātaka haraṇī |
jaya brahmāṇḍa kalpataru ke he
amṛta phala ānanda sadana jaya |
koṭi śīrṣa jaya ||1||
jīvana mantra tumhārā darśana |
pāvana veda tumhārī vāṇī |
cintana manana vicāra śāstra hai
gāyana hai gītā kalyāṇī |
gaṁgā jala se sarala saumya tuma
upaniṣadoṁ se gahana atala ho |
tuma muralī se lalita sudarśana
kāla -cakra se vikaṭa prabala ho |
cūra -cūra ho jāye
tere vajra- vakṣa se jo ṭakarāeye |
tū vaha saṁgama hai jo bheṁṭe
terī eka lahara ho jāye
karma -bhūmi jaya dharma -bhūmi jaya
jayati purātana nita nūtana jaya |
koṭi śīrṣ jaya ||2||
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