ओ नौजवान देश के उठो उठो उठो
ओ सुत महान देश के उठो उठो उठो
प्रभात की सुवर्ण रश्मियाँ जगा रही।
विहंग टोलियाँ अरुण-विहाग गा रहीं॥
सिमिट-सिमिट क्षितिज के पार आ रही निशा।
उमंग से भरी जवानियाँ जगा रहीं॥
नवीन चेतना नवीन जागरण लिये
ओ स्वाभिमान देश के उठो उठो उठो॥१॥
दे लोरियाँ थी गोद में सुला रही तुम्हें॥
क्यों मोह में सुला रही तुम्हें।
हो त्रस्त आज मातु है बुला रही तुम्हें॥
क्यों मोह में पड़े हो पुत्र नींद ले रहे
ये घातिनी है राह से भुला रही तुम्हें॥
सुनो मयूर डाल पर हैं बैठ गा रहे -
ओ सुप्त प्राण देश के उठो उठो उठो॥२॥
कँप रहा है आसमान कंप रही धरा।
है व्देष-अग्नि में ही मानवत्व जल मरा
कराह आह वेदना भरी पुकार से।
चतुर्दिगन्त विश्व-व्योम आज है भरा॥
समस्त शक्तियाँ सुसंगठित किये हुए
ओ शक्तिवान देश के उठो उठो उठो ॥३॥
उठो स्वतंत्र देश की लिये मशाल तुम।
रखो समुच्च गर्व से हिमाद्रि भाल तुम।
बनो स्वदेश -शत्रु के समक्ष काल तुम
रचो सुदृढ़ सुसंगठित अज्य दिवाल तुम
स्वराष्ट्र भाग्य -सूत्र आज हाथ में लिए
ओ भाग्यवान देश के उठो उठो उठो ।४॥
जगा रही तुम्हें अतीत की कहानियाँ।
स्वतंत्र देश-दीप पर मिटी निशानियाँ।
पंजाब कश्मीर बंग-भू जगा रही।
स्वदेश हित शिव प्रताप सा विराग ले
व्रती महान देश के उठो उठो उठो॥५॥
o naujavāna deśa ke uṭho uṭho uṭho
o suta mahāna deśa ke uṭho uṭho uṭho
prabhāta kī suvarṇa raśmiyā jagā rahī |
vihaṁga ṭoliyā aruṇa-vihāga gā rahīṁ ||
simiṭa-simiṭa kṣitija ke pāra ā rahī niśā |
umaṁga se bharī javāniyā jagā rahīṁ ||
navīna cetanā navīna jāgaraṇa liye
o svābhimāna deśa ke uṭho uṭho uṭho ||1||
de loriyā thī goda meṁ sulā rahī tumheṁ ||
kyoṁ moha meṁ sulā rahī tumheṁ |
ho trasta āja mātu hai bulā rahī tumheṁ ||
kyoṁ moha meṁ paṛe ho putra nīṁda le rahe
ye ghātinī hai rāha se bhulā rahī tumheṁ ||
suno mayūra ḍāla para haiṁ baiṭha gā rahe -
o supta prāṇa deaśa ke uṭho uṭho uṭho ||2||
kapa rahā hai āsamāna kaṁpa rahī dharā |
hai vdeṣa-agni meṁ hī mānavatva jala marā
karāha āha vedanā bharī pukāra se |
caturdiganta viśva-vyoma āja hai bharā ||
samasta śaktiyā susaṁgaṭhita kiye hue
o śaktivāna deśa ke uṭho uṭho uṭho ||3||
uṭho svataṁtra deśa kī liye maśāla tuma |
rakho samucca garva se himādri bhāla tuma |
bano svadeśa -śatru ke samakṣa kāla tuma
raco sudṛṛha susaṁgaṭhita ajya divāla tuma
svarāṣṭra bhāgya -sūtra āja hātha meṁ lie
o bhāgyavāna deśa ke uṭho uṭho uṭho |4||
jagā rahī tumheṁ atīta kī kahāniyā|
svataṁtra deśa-dīpa para miṭī niśāniyā |
paṁjāba kaśmīra baṁga-bhū jagā rahī |
svadeśa hita śiva pratāpa sā virāga le
vratī mahāna deśa ke uṭho uṭho uṭho ||5||
Addition to 5th stanza
जगा रही तुम्हें अतीत की कहानियाँ।
स्वतंत्र देश-दीप पर मिटी निशानियाँ।
पंजाब काश्मीर बंग-भू जगा रही।
जगा रही सुहाग से लुटी जवानियाँ।
स्वदेश हित शिवा प्रताप सा विराग ले।
व्रती महान देश के उठो उठो उठो॥४॥
cpramkrishna | Jul 20 2009 - 17:51
This is the corrected lyrics of second stanza
दे लोरियाँ थी गोद में सुला रही तुम्हें॥
हो त्रस्त आज मातु है बुला रही तुम्हें॥
क्यों मोह में पड़े हो पुत्र नींद ले रहे
ये घातिनी है राह से भुला रही तुम्हें॥
सुनो मयूर डाल पर हैं बैठ गा रहे -
ओ सुप्त प्राण देश के उठो उठो उठो ॥२॥
cpramkrishna | Jul 20 2009 - 17:48
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