स्वयं झुका है जिसके आगे, हर क्षण भाग्य विधाता
धन्य धन्य हे धन्य जीजाई, जगत वंद्य माता
जाधव कन्या स्वाभिमानिनी, क्षत्रिय कुल वनिता
शाहपुत्र शिवराज जननी तू, अतुलनीय नाता
माँ भवानी आराध्य शक्ति से, तुझको बल मिलता
धन्य धन्य हे धन्य जीजाई, जगत वंद्य माता
राज्य हिन्दवी स्वप्न ध्रुवों का, मावल अंतर में
अश्वटाप शिवसैन्य कांपती, मुग़ल सल्तनत मन में
अमर हो गयी तव वचनों हित, सिंहगढ़ की गाथा
धन्य धन्य हे धन्य जीजाई, जगत वंद्य माता
हर हर हर हर महादेवहन, घोष गगन गूंजा
महापाप तरु अफज़ल खां पर, प्रलय काल टूटा
मूर्तिभंजक अरिशोणित से, मातृ चरण धुलता
धन्य धन्य हे धन्य जीजाई, जगत वंद्य माता
छत्रपति का छत्र देख कर, तृप्त हुआ तन मन
दिव्य देह के स्पर्श मात्र से, सार्थ हुआ चन्दन
प्रेरक शक्ति बने हर मन की, जीवन जन सरिता
धन्य धन्य हे धन्य जीजाई, जगत वंद्य माता
स्वयं झुका है जिसके आगे, हर क्षण भाग्य विधाता
धन्य धन्य हे धन्य जीजाई, जगत वंद्य माता
जाधव कन्या स्वाभिमानिनी, क्षत्रिय कुल वनिता
शाहपुत्र शिवराज जननी तू, अतुलनीय नाता
माँ भवानी आराध्य शक्ति से, तुझको बल मिलता
धन्य धन्य हे धन्य जीजाई, जगत वंद्य माता
राज्य हिन्दवी स्वप्न ध्रुवों का, मावल अंतर में
अश्वटाप शिवसैन्य कांपती, मुग़ल सल्तनत मन में
अमर हो गयी तव वचनों हित, सिंहगढ़ की गाथा
धन्य धन्य हे धन्य जीजाई, जगत वंद्य माता
हर हर हर हर महादेवहन, घोष गगन गूंजा
महापाप तरु अफज़ल खां पर, प्रलय काल टूटा
मूर्तिभंजक अरिशोणित से, मातृ चरण धुलता
धन्य धन्य हे धन्य जीजाई, जगत वंद्य माता
छत्रपति का छत्र देख कर, तृप्त हुआ तन मन
दिव्य देह के स्पर्श मात्र से, सार्थ हुआ चन्दन
प्रेरक शक्ति बने हर मन की, जीवन जन सरिता
धन्य धन्य हे धन्य जीजाई, जगत वंद्य माता
NT | Jun 16 2010 - 04:24
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Rajeev Kumar Mishra | Oct 11 2008 - 12:16
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